Tuesday, September 1, 2009

धर्म पत्नी /पति

मैनेएक ब्लॉग पर पडा की धर्म पत्नी होती है धर्म पति क्यो नही होता / मारा कई लेखक भाई बहनों ने समझाने की कोसिस की परन्तु मेरे हिसाब से ठीक नही था /मैने डॉ। अधुरा के नाम से लिखा भी था जो बहुत थोड़ा था अब विस्तार से लिख रहा हु धर्म पत्नी व् पति लिखने की आदत मेरे हिसाब से हिंदू धर्म में ही है हिंदू वास्तविक रूप में भगवन व् उनकी पत्नी को ही पति पत्नी मानते है बाकि हम तो उनके बनाये धम्र के अनुसार ही पति पत्नी है अब इसका वेझानिक पहलु बताते है तो भाषा के विझान पर भी ठीक है पति का अर्थ है पालकअर्थात जो पालता है और पत्नी का अर्थ है जो पलती है /पत्नी को शक्ति भी कहा जाता है वास्तविक रूप में जो गुन हमारे अंदर सबसे शक्तिशाली है या जो गुन हमने विशेष से बडाया है वह हमारी पत्नी है हमारे और हमारी शक्ति के बिच में कोई नही होता न ही हम बहार से लाते है वह हमारी पत्नी है जो हम शादी करके लाते है उसे हम समाज से अपने धर्म के अनुसार लाते है और नियमो का पालन करते है धर्म अनुसार लेने व् पालने के कारणउसे धर्म पत्नी कहा जाता है यही बात पति पर लागु होती है / धर्म गर्न्थोमें गलत अर्थ लगाने से ही हमारे गरंथ अधर्म की पुस्तक बन गई है और हम अधर्मी बन गए है पुसतक पड़ते समय प्रत्यक्ष व् परोक्ष का ध्यान रख कर सही अर्थ लगिए बात ठीक रहेगी नही तो आज जेसे सवाल खड़े हो रहे है खड़े होते रहेगे और यही कारण धर्म विनाश का कारण है /
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