Thursday, August 27, 2009

नारी नही बेचारी

आज तक पुरे विश्व मै नारी को बेव्हारी के रूप मै देखा जाता है उसी नजर से उस पर दया की जाति है / परन्तु नारी को जब पूछा जाता है तो वह पुरूष को बेचारी कहने को मना करती है और सना थोक कर कहती है की हम पुरुषों से किसी भी तरह कम नही है जब कही नारी समेलन हो रहा होतो वहा तो सुनने लायक बाते होती वहा तो समाज को पुरूष प्रधान बता कर बहुत ही कड़वा भाषण दिया जाता है जबकि आज तक जितना भी नारी उठान हुआ है उसमे पुरूष की पुरी भागी दरी रही है नारी इस बात को मानने को तयार नही पर यह सचाई है यह नही की मै पुरूष हु मै नारी उठान के विरूद्व नही हु /

परन्तु मुझे जोर का धका जब लगता है जब नारी के लिए सरकार की तरफ से दया के रूप मै कोई विशेस छुट दी जाति है या कानून मै कोई नरमी दी जाती है जैसे बस मै खड़ी नारी को सिट देदेना या किसी कतारमै पहले जगह दे देना या अबला समझ कर दया करना कितने छोटी सोच के है वो लोग जो नारी को दया का पात्र मानते है आज नारी किस पद पर नही है मै तो यही कहुगा की नारी पर किसी प्रकार की दया नाकि जाए /मै तो ये चाहता हु की इसे भी देश की रक्षा के लिए सीमा पर पर तनत कर देना चाहिएजेसे पुरूष पर कमाने का दैएत्व है उसी परकार नारी का भी होना चहिये नाकि ये की नारी कुछ करे तो शाबाशी करे तो ये कह कर छोड़ दो की ये तो नारी है घर भी रह सकती है नारी बेचारी कहना व् बेचारी समझ कर सहायता करना नारी का अपमान करना है क्योकि नारी नही बेचारी /

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